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मामले की जांच करते हुए जस्टिस हरिशंकर ने यह टिप्पणी की है कि, क्या धारा 375 के तहत अपवाद को खत्म किया जाए? उन्होंने कहा है कि भारत में वैवाहिक दुष्कर्म के लिए कोई अवधारणा नहीं है।
स्वीकृति लेना अनिवार्य है और यदि यह दुष्कर्म है तो इसके लिए मान्य सज़ा दी जाएगी। उच्च न्यायालय ने कहां है हमारा न्याय शास्त्र और संविधान अच्छी तरह से स्थापित सिद्धांत है।
पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता करण आनंदी नंदी की आक्षेपित प्रावधान की संवैधानिक वैधता का पहलू पर बहस करने के लिए सराहना भी की।
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