नई दिल्ली: ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) एक ऐसी स्थिति है जो ऊपरी वायुमार्ग के पूर्ण / आंशिक रुकावट के कारण पैदा होती है। इससे नींद का पैटर्न बाधित होता है। इस बीमारी से पीड़ित होने पर व्यक्ति की जीवन की गुणवत्ता नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हृदय की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और जीवन की गुणवत्ता में कमी लाती है। इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों के लिए इसका जल्द से जल्द पता लगाना एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है।
अपोलो टेलीहेल्थ के सीईओ श्री विक्रम थाप्लू ने कहा, "93 प्रतिशत भारतीय लोग पर्याप्त नींद से वंचित रहते हैं और उनमें से 65 प्रतिशत स्लीप एपनिया के संभावित मरीज होते हैं। हमारा मानना है कि ऐसे कई व्यक्ति हैं जिनका डायग्नोसिस ओएसए के रूप में नहीं किया गया है। कुछ लोग है जो इसका इलाज ढूढ़ रहे हैं। यह ' गुड निद्रा' कार्यक्रम' डॉक्टरों और ओएसए मरीजों को एक नई, मरीज के पसंद के अनुसार वैकल्पिक चिकित्सा प्रदान करेगा जो सरल, आरामदायक, प्रभावी और उपयोग में आसान होगी। कार्यक्रम में लेटेस्ट टेक्नोलॉजीआधारित उपकरणों के माध्यम से घर/अस्पताल में स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस सुविधा शामिल होगी, ये सुविधाएँ सस्ती और सुविधाजनक होगी। इलाज के बेहतर परिणाम के लिए रिमोट ट्रीटमेंट मेडिकल मोनिटरिंग के लिए CPAP उपकरणों को कनेक्टेड सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा ट्रीटमेंट कार्यक्रम के हर फेज के दौरान मरीजों को शिक्षित और मार्गदर्शन करने के लिए स्लीप टेक्नीशियन, स्लीप कोच और काउंसलर सहित एक बैक-एंड सपोर्ट टीम भी होगी। इस समर्पित कार्यक्रम के माध्यम से हमारा लक्ष्य ज्यादा मरीजों का इलाज करना और स्लीप एपनिया के बोझ को कम करना या समाप्त करना है। नींद संबंधी समस्याएं और मोटापा नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों में शामिल होनी वाली है।"
अपोलो टेलीहेल्थ के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ आयशा नाजनीन ने नए कार्यक्रम के बारे में अपनी राय देते हुए कहा, "स्लीप एपनिया एक गंभीर क्रोनिक स्थिति है यह स्थिति न केवल नींद को प्रभावित करती है बल्कि शरीर के अन्य अंगो पर भी प्रभाव डालती है। इस समस्या से पीड़ित मरीज के जीवन की गुणवत्ता और सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित होता है। 'गुड निद्रा' कार्यक्रम से हम मानते हैं कि हम ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित मरीजों का इलाज और मैनेजमेंट करना काफी आसान बना सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा मरीजों का इलाज कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए केवल एक क्वेश्चनरी (प्रश्नावली) भरनी होगी, फिर एक स्लीप एक्सपर्ट , कंसल्टेशन, डायनगोसिस और विभिन्न क्लीनिकल रिपोर्टों को समझाने में मदद करने के लिए पीड़ित से कनेक्ट करेंगे, जिसके बाद घर पर कनेक्टेड सीपीएपी डिवाइस लगायी जायेगी। कार्यक्रम निरंतर ट्रीटमेंट कॉम्पलियन्स मॉनिटरिंग और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट से मरीज की मदद करेंगे। यह कार्यक्रम ज्यादा लोगों की जान बचाने और इस घातक बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने की उम्मीद में इस प्रचलित साइलेंट किलर से निपटने में समग्र रूप से मेडिकल कम्युनिटी की मदद कर सकता है।"
उन्होंने आगे कहा, "बेहतर स्वास्थ्य के लिए नींद एक बहुत ही जरूरी चीज होती है। दुनिया भर में लोग बेहतर नींद के महत्व के बारे में ज्यादा शिक्षित और जागरूक हो रहे हैं। इस बीमारी के स्पेशिलिटी की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरओं की संख्या कम है। इस तरह की पहल से भारत में मरीजों के लिए स्लीप स्पेशलिस्ट और स्लीप डिसऑर्डर के इलाज के लिए विश्व स्तरीय तकनीकों की पहुंच प्रदान की जायेगी।"
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